पुलिस एवं प्रशासन सतर्क लेकिन स्वास्थ्य अमले की जिम्मेदारी तय नही

उदयगढ़ में जारी नहीं की स्वास्थ्य अमले की गाइडलाइन
उदयगढ़ से राजेश जयंत
कोरोना वायरस को लेकर चारों ओर कोहराम मचा हुआ है, प्रधानमंत्री से लेकर गांव के पंचायत सचिव तक अलर्ट है। पुलिस मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। प्रशासन भी बारीकी से नजर रखे हुए हैं लेकिन जब नजर स्वास्थ्य विभाग की ओर जाती है तब माथा थोड़ा ठनक जाता है। बीते तीन-चार माह की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग का ऊपरी तौर पर जबरदस्त कायाकल्प हुआ है। लेकिन आंतरिक व्यवस्था काफी बिगड़ी हुई है। ना तो यहां पूरा स्टाफ है और ना ही डॉक्टर। उपरी रंग रोगन और बाहरी रोशनी इतनी जबरदस्त है कि रात में भी दिन नजर आता है लेकिन अंदर की बात करें तो अक्सर मोमबत्ती और टॉर्च की रोशनी में डिलीवरी होती है।

तत्कालिक मुद्दे पर आए तो अपतने को लेकर अभी तक सीएमएचओ-डीएचओ ने स्वास्थ्य अमले के लिए गाइडलाइन जारी नहीं की है। दिशा निर्देश नहीं दिए है। डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं तो कर्मचारी घर बैठे हैं। उनका सवबाकवूद है डॉक्टर का नहीं। हमेशा की तरह ही राम भरोसे काम चल रहा हैै। बाबू जी बाबू गिरी करते हैं तो टाइपिस्ट अपने कंप्यूटर तक सीमित रहते हैं। मौका आने पर वह मरीज को हाथ लगाना दूर, वहां आकर फटकते तक नहीं।
सप्ताह में 3 दिन 3 घंटे काम बाकी समय आराम
सर्दी, खांसी, दर्द, बुखार के लिए यदि ग्रामीण क्षेत्र के मरीज को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आना पड़ रहा है तब सवाल यह उठता है कि आखिर एएनएम कर क्या रही है। सप्ताह में मात्र 3 दिन 3 से 4 घंटे गांव में जाकर टीकाकरण करने के बाद क्या उनका और कोई दायित्व नहीं रहता। यदि वह गांव में ड्यूटी नहीं कर सकती तब उनसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में काम लिया जाना चाहिए लेकिन वह अपने घरों मे ही रहती है.. क्या मजाल है कि हमसे कोई कुछ कह ले।
खुदानाखास्ता यदि कल को अचानक कोई विपरीत स्थिति बनी तब अकेले डॉक्टर क्या कर  लेंगे ..?? अक्सर देखने में आता है कि यहां स्टाफ की लापरवाही का खामियाजा यहां मौजूद डॉक्टर को भुगतना पड़ता है।  अधिकांश कर्मचारी बाहर से गमनागमन कर रहे हैं। खुद सीबीएमओ  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बोरी में पदस्थ होकर घंटे 2 घंटे के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयगढ़ आते हैं। पोस्टमार्टम के लिए मुर्दे को भी इंतजार करना पड़ता है क्योंकि डॉक्टर तो तैयार रहते हैं लेकिन कर्मचारी को जोबट या बोरी से बुलाना पड़ता है।
एक महिला और एक पुरुष डॉक्टर की तनख्वाह उदयगढ़ से निकल रही है लेकिन वह सेवाएं जोबट में दे रहे हैं। बीते दिनों कलेक्टर मैडम ने कार्य व्यवस्था की दृष्टि से आठ मेडिकल ऑफिसर की पोस्टिंग अलग अलग जगह की थी। एक डॉक्टर उदयगढ़ भी भेजे गए थे लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर के आदेश तक का पालन नहीं किया। बताओ अब ऐसी स्थिति में माथा ठनकना स्वाभाविक है या नहीं।  स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भारत विश्व में 104 वे स्थान पर है लेकिन हमारे यहां जैसी व्यवस्था रही तो 1004 वे स्थान पर चला जाएगा।।
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