कठ्ठीवाड़ा अंचल में होली गोट प्रारम्भ, पुलिस दल ने अंचल में दी समझाईश

पहले दिन ग्रामीणों के पांच दल ही कस्बे में गोट वसूली के लिए आए
कठ्ठीवाड़ा से प्रेम गुप्ता
आदिवासी अंचल में धुलेटी के दूसरे दिन से लगाकर पंचमी तक गोट वसुली की प्रथा के चलते ग्रामीण अंचल के सारे रास्तों में सन्नाटा पसर जाता है। पहले दिन क्षेत्र में गोट के लिए पांच दल ही आए। पारंपरिक गोट वसूली की प्रथा के चलते अंचल-कस्बे के रास्तों पर स्थानीय पुलिस दल द्वारा सतत गश्त प्रारम्भ की गई, और ग्राम के जिम्मेदारों को समझाईश दी गई। 

कठ्ठीवाड़ा थाना प्रभारी ईश्वर चौहान ने बताया कि गोट वसूली की प्रथा के चलते रास्तों को रोकने और जबरजस्ती गोट वसुली के लिए ग्रामीणों को सरपंच, पटेल और वरिष्ठ ग्रामीणों से मिलकर समझाईश दी गई। राहगीरों की सुरक्षा और किसी सम्भावित अनहोनी की संभावनाओं के चलते पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव के दिशानिर्देशों के अनुसार क्षेत्र की निरन्तर पेट्रोलिंग प्रारम्भ कर दी गई है। जहां कहीं भी जबरन वसूली या रास्ता रोकने की सूचना मिलती है वहां तत्काल पुलिस दल भेज दिया जाता है। 
कम होता जा रहा चलन
गोट वसूली की प्रथा में कुछ समय पूर्व पूरे अंचल में सन्नाटा पसर जाता था, बाहर से आने वाले परिवहन के साधनों के साथ ही नागरिक भी विशेष परिस्थिति में ही कहीं आना-जाना करते थे। इस दौरान यदि कोई विशेष परिस्थिति में बाहर का नागरिक फस जाए तो गोट मांगने वाले उसकी बुरी गत बनाते थे, अक्सर उनके साथ अनहोनी परिस्थिति भी निर्मित हो जाती थी। किंतु ग्राम भूरिआम्बा के आदिवासी समाजसेवी छगन सिंह चैहान ने बताया कि शिक्षा के प्रसार, जागरूकता, प्राशासनिक सख्ती के चलते अब माहौल सामान्य होता जा रहा है। पिछले वर्ष ही उनके क्षेत्र में राहगीरों के साथ हुई अनहोनी के चलते इस वर्ष रास्तों पर गोट वसूली को आपसी चर्चा कर बंद कर दिया है
रायबुतलिया और उलाहने वाले लोकगीतों से वसूली जाती है गोट
गोट वसुली के लिए ग्रामीण महिलाएँ, युवतियां उलाहने भरे गीत गाकर गोट वसूलती है। किसी दल के साथ रायबुतलिया भी रहता है जो अपनी नृत्य करता रहता है। आजकल महिलाएं, युवतियों की जगह इक्का-दुक्का ग्रामीण और युवक ही वोट के लिए आने लगे है और बिना किसी शोरगुल के गोट की परम्परा का निर्वहन कर चले जाते है।

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