अध्यक्ष कांग्रेस का व परिषद भाजपा की होने से नगरपालिका में चल रहा घमासान

नियमों में उलझा रहे नगर का विकास,
आखिर क्यों हुई नपा परिषद की बैठक निरस्त..........?
आशुतोष पंचोली
आलीराजपुर। ब्यूरो चीफ
नगरपालिका परिषद आलीराजपुर में सोमवार 7 जनवरी को परिषद का विशेष सम्मेलन रखा गया था। जिसकी विषय सूची में 41 बिंदू रखे गए थे। जिन पर विचार कर इन्हें स्वीकृती दी जाना थी। किंतु सीएमओ राजेंद्र मिश्रा का तबादला खरगोन हो जाने के बाद प्रभारी सीएमओ आशा ठाकुर को बनाए जाने व उन्हें परिषद का सम्मेलन लेने के अधिकार को लेकर नपा उपाध्यक्ष संतोष परवाल ने आपत्ति ली। बस इसके बाद नियमों की जो बहस चली और इस बहस के बाद सम्मेलन निरस्त करने की नौबत आ गई। नपा अध्यक्ष सेना पटेल ने नपा उपाध्यक्ष व पार्षदों पर नगर विकास के प्रति गंभीर नहीं होने व जनता के विकास कार्यों में रुकावट डालने का आरोप लगाते हुए बैठक को निरस्त करने की घोषणा कर दी। नगरपालिका भवन के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष कक्ष में बैठ बैठ कर दोनों ने मीडिया को बयान दिए। जिसमें आरोप प्रत्यारोप, नियमों व नगरपालिका अधिनियम की धाराओं का हवाला देकर प्रभारी नपा सीएमओ के अधिकार क्षेत्र को लेकर अलग अलग बाते दोनों ने कही।हालांकि नपा उपाध्यक्ष श्री परवाल ने जो पत्र प्रभारी सीएमओ को लिखा है उस पर अन्य किसी भी पार्षद के हस्ताक्षर नहीं है। सिर्फ उनके अकेले के ही हस्ताक्षर है। उनके पत्र के कापी मीडिया को नपा के द्वारा उपलब्ध करवाई गई। वहीं दूसरी ओर प्रभारी सीएमओ आशा ठाकुर ने उनके अस्थाई तौर पर प्रभारी सीएमओ बनाए जाने का संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन इंदौर का पत्र भी प्रस्तुत किया है।नगरीय प्रशासन एवं विकास इंदौर के संयुक्त संचालक अभय राजनगांवकर  ने नपा में प्रभारी सीएमओ के रुप में मुख्य लिपिक आशा ठाकुर को नियुक्त करने का आदेश भी जारी किया है। इसके अलावा उन्हौंने फोन पर बताया कि प्रभारी सीएमओ को परिषद के सम्मेलन बैठक लेने का अधिकार है क्यों कि बिना सीएमओ के नपा परिषद कैसे चलेगी। 
जनप्रतिनिधि नहीं दिख रहे गंभीर
नगरपालिका परिषद आलीराजपुर में इन दिनों सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। चलेगा भी कैसे आखिर जनता ने अध्यक्ष कांग्रेस का चुना तो परिषद में 14 पार्षद भाजपा के चुने थे। करीब डेढ़ साल हो गए है नपा चुनाव को किंतु इन डेढ़ सालों में नगरपालिका परिषद की बैठकों या परिषद के सम्मेलन में विकास के काम होना तो दूर परिषद में चुने गए पार्षदों की दलगत निष्ठा नगर के विकास पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है। जनता ने अध्यक्ष व पार्षदों को नगर की जनता की सेवा करने व नगर का विकास करने के लिए चुन कर भेजा है। किंतु परिषद के वर्तमान स्वरुप को देखकर यह कदापि नहीं लग रहा है कि वे अपने कर्तव्य व जिम्मेदारी के प्रति बहुत गंभीर हैं।  कभी नपा के उपाध्यक्ष कक्ष को लेकर सम्मेलन में हंगामें हुए तो कभी प्रभारी सीएमओ के अधिकारों को लेकर घमासान होते नजर आए तो कभी वित्तिय अधिकारों पर लंबी बहस हुई। कुल मिलाकर जनता की सेवा करना तो दूर आपसी वर्चस्व, दलगत निष्ठा, अहम की लड़ाई ही नगरपालिका में होती दिखाई दे रही हैं। आरोप प्रत्यारोप के दौर में चल रही नगरपालिका परिषद के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को इस बात का ही ध्यान नहीं है कि नगर की जनता ने जब उन्हें बड़ी उम्मीदों और आशाओं से चुन कर परिषद में भेजा तो फिर जनता के कामों को प्राथमिकता देने के बजाए ये जनप्रतिनिधि आपस में ही लड़ते हुए दिखाई दे रहे है। जाहिर है कि परिषद में भाजपा का बहुमत है तो वह अपने अनुसार परिषद में कामों को स्वीकृत करवाएगी किंतु आपसी सामंजस्य का अभाव होने से नगर विकास के कई सारे काम अटके पड़े हैं। दूसरी ओर बहुमत के अभाव में लाचार हुई नपा अध्यक्ष अपने स्तर व अधिकार के जो काम है उन्हें करने की बात कह रही हैं।
जनता के प्रतिनिधि बने
 परिषद को देखकर ऐसा लग रहा है कि जो पार्षद चुने गए है वे अपने दल के प्रति ज्यादा निष्ठावान दिखाई दे रहे है। हालांकि भाजपा के 14 पार्षदों में से सिर्फ नपा उपाध्यक्ष संतोष परवाल मकू सेठ को छोड़कर एक भी अग्रणी बनता नहीं दिखाई दिया है। वार्ड 4 के पार्षद औच्छब सेठ वैसे तो भाजपा के टिकट पर पार्षद बने है किंतु उनकी अपनी ढपली और अपना ही राग है। कुछ सम्मेलनों में जरुर औच्छब सेठ ने उग्र तेवर दिखाए थे। किंतु जब से उनकी पुरानी कलाली के पास नाले पर पुलिया प्रशासन से अनुमति लेकर बनी है और उनकी कालोनी की वेल्यू दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ी है। उसके बाद से वे भी जो चल रहा है चलने दो की तर्ज पर आ गए है। वैसे स्वयं उनकी नपा उपाध्यक्ष मकू परवाल से ज्यादा बनती नहीं है। वार्ड 3 के भाजपा से पार्षद चुने गए भाजपा के पूर्व नगर मंडल अध्यक्ष संतोष थेपड़िया ने खुद को नपा उपाध्यक्ष नहीं बनाए जाने के बाद से ही परिषद के सम्मेलनों से दूरी ही बना रखी है। बाकि पार्षद तो सिर्फ नपा उपाध्यक्ष की हां में हां मिलाते हुए दिखाई दे रहे है। दूसरी ओर कांग्रेस के सिर्फ चार पार्षद है जो कि सभी महिलाएं ही है जो कि अपने अपने  घर के पुरुषों पर ही अधिकतर निर्भर है। अब ऐसी स्थिती में आप स्वयं देखिए कि कांग्रेस की ओर से सिर्फ अध्यक्ष सेना पटेल और भाजपा की ओर से नपा उपाध्यक्ष मकू परवाल ही रह जाते है। जो नगरपालिका में अपने अपने स्तर से किला लड़ाते या छदम युद्ध लड़ते हुए प्रतीत होते है। अब नगर विकास का क्या वो तो अपने आप हो ही जाएगा। तो मित्रों ये हालत है आलीराजपुर की नगरपालिका की अब आप ही देखिए और सोचिए कि कौन कितना जिम्मेदार हैं।

मीटिंग निरस्त होने के बाद मीडिया को नपा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने अपने अपने कक्ष में जो कहा वह ज्यौं का त्यों हमारे पाठकों के लिए प्रस्तुत है।


आज जो बैठक निरस्त हुई है उसका मेन कारण यह है कि यहां पर भाजपा की परिषद है और कांग्रेस की अध्यक्ष मैं हूं। मीटिंग रखी गई थी कि  लेकिन भाजपा के पार्षदों को विकास बिलकुल भी नहीं करना है। जनका के काम नहीं करना है, और जनता के काम में अड़ंगे डालना यह इनकी नीति है। मेरा यह मानना था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। विधायक हमारी पार्टी से है इसके बावजूद हम सब मिलकर इस परिषद को लेकर चलाने के लिए ये मीटिंग रखी थी। किंतु जनता के हित के कामों के लिए जो जो बिंदू रखे थे उन बिंदू पर विचार ही नहीं हुए और इन्हौंने मीटिंग में बैठना भी उचित नही समझा। क्यों कि जनता के लिए हमकों काम करना है।  सबसे पहले हमें जनता का काम करना था। इन्हौंने नीति ही बना ली कि इनको जनता का काम नही करना इसलिए ये काम करना नहीं चाहते है। इस वजह से इन्हौंने मीटिंग में बैठना ही उचित नहीं समझा। वैसे ये आए भी किंतु मीटिंग में बैठे ही नहीं। इसलिए मेरे को  मीटिंग निरस्त करना पड़ी। अब जो भी काम होगा हम विधायक कलेक्टर व कमलनाथजी के पास जाकर काम करवाएंगे। मेरे अधिकार क्षेत्र में जो भी काम आएंगे वह काम मैं करुंगी।  इनसे हमको कोई उम्मीद नहीं है। ये अपनी नीति से मुकर जाते है।  जिन बिंदुओ पर चर्चा होती उसे हम सबके सामने रखकर ही उसे स्वीकृत करते। कोई गलत फैसले तो नहीं लेते। हमें जनता के हित में फैसला तो लेना ही पड़ंेगा। जनता ने हमें चुनकर बिठाया है जनता की क्या गलती है।  प्रभारी सीएमओ को संपूर्ण अधिकार दिए गए है। जिन बिंदू पर विचार होते है उन्हें हम शासन को भेजते। यदि गलत काम होते तो आप उपाध्यक्ष थे तो उन कामों को रोक सकते थे। जनता ने हम को  बिठाया है तो जनता के काम तो करना ही पड़ंेगे। 
- सेना महेश पटेल अध्यक्ष नपा परिषद आलीराजपुर।



जी हमने कोई विरोध दर्ज नहीं करवाया है। ऐसा मैंने कहा है कि नपा की इस परिषद बैठक मे हम जिन करोड़ों रुपए के कामों को स्वीकृत करेंगे या उस पर चर्चा करेंगे। वो विधि सम्मत होगा कि नहीं सवाल इस बात का है। मैंने प्रभारी सीएमओ को एक पत्र दिया है जो कि चालू प्रभार है। उसमें यह स्पष्ट करने के लिए लिखा है कि आप इस बैठक को लेने के लिए सशक्त है या नहीं आपको अधिकार है या नहीं है । हम बैठक लेने के लिए तैयार है। यदि सशक्त अधिकारी है तो आप हमको लिखकर दे दीजिए हम बैठक ले लेंगे। यदि बैठक में कोई निर्णय ले लिए यदि वे अवैध हुए और उन निर्णयों को पारित करने का कोई अधिकार ही नहीं है तो परिषद इसके लिए जिम्मेदार रहती है। सीएमओ की परिभाषा नपा अधिनियम में दी गई है। अगर उस अधिनियम के तहत सीएमओ बैठक लेने के लिए सशक्त अधिकारी है तो बैठक ले लेवें हमें सिर्फ दो लाईन लिखकर दे देे।  हमने दलगत राजनीति से उपर उठकर काम किया है। पिछली परिषद में 133 प्रस्ताव स्वीकृत कराए हैं।  उनको ही पहले एक्जीक्यूटिव कर लेवें। उन पर एक पर भी काम नहीं हुआ है।  जब भाजपा की सरकार थी तब भी हमने नगर विकास के लिए कोई समझौता नहीं किया है। कई प्रस्तावों को स्वीकृत किया है। दलगत राजनीति से उपर उठकर हमेशा काम किया है। नगर विकास करने में हम पीछे नहीं रहेंगे। 

- संतोष परवाल मकू सेठ उपाध्यक्ष नपा परिषद, आलीराजपुर।

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