आशुतोष पंचोली
आलीराजपुर।ब्यूरो
श्री पिपलेश्वर महादेव मंदिर समिति और श्री चारभुजा पैदल यात्रा संघ की ओर से आलीराजपुर से राजस्थान के श्री चारभुजाजी तक की 450 किमी लंबी पदयात्रा पर करीब 100 श्रद्धालुजन बुधवार 5 सितंबर को रवाना होंगे। सभी पदयात्रियों को इस दिन धूमधाम से विदाई दी जाएगी। संघ की पदयात्रा का यह 23 वां साल हैं। सभी यात्री 5 सितंबर को यहां से रवाना होकर मार्ग में विभिन्न पड़ावों पर विश्राम करते हुए आगामी डोल ग्यारस के दिन 19 सितंबर को श्री चारभुजाजी में लगने वाले वाले विशाल मेले में भाग लेकर व श्री चारभुजाजी के दर्शन कर 21 सितंबर को आलीराजपुर लौटेंगे।
यात्रा संचालक सुनिल कापड़िया व सह संचालक अनिल माली ने नईदुनियालाईव को बताया कि सालों पुरानी परंपरा के अनुसार आलीराजपुर से श्री चारभुजाजी तक की पदयात्रा पर बुधवार दशमी के दिन पदयात्री रवाना हो रहे हैं। सभी यात्रियों को चल समारोह में नगर की सीमा तक धूमधाम से विदाई दी जाएगी।
इन स्थानों पर होंगे रात्रि विश्रामः
यात्रा आयोजकों की ओर से मिली जानकारी के अनुसार 5 सितंबर को आंबुआ, 6 को पांचवाड़ा आश्रम, 7 को लीमड़ी, 8 को भीलकुंआ, 9 को तलवाड़ा, 10 को बेणेष्वर, 11 को जैथाना कृष्ण मंदिर, 12 को जयसमंद मछलीपालन, 13 को केवड़ा स्कूल, 14 को चंपालाल धर्मषाला उदयपुर, 15 को देलवाड़ा स्कूल, 16 को श्रीनाथजी बिसानिया धर्मषाला, 17 को कांकरोली द्वारिकाधीष, 18 व 19 सितंबर को श्री चारभुजाजी और 20 को मेला दर्षन के बाद सुबह 11 बजे वापसी होगी।
यात्रा संचालक के अनुसार मौसम को देखते हुए व्यवस्थापक यात्रा पड़ाव में परिवर्तन कर सकते है। यात्रा के व्यवस्थापक राजाभाई टेलर, जितेंद्र योगी, भरत मोदी, विकास वाणी नानपुर, गोपाल भाई नवाल, दादा बापूजी हैं।
सेठ मोहनलाल नवाल ने की थी शुरुआत
नईदुनियालाईव को मिली जानकारी के अनुसार आलीराजपुर से श्री चारभुजाजी तक की पदयात्रा की परंपरा का श्रेय माहेश्वरी समाज के प्रतिष्ठित व स्वर्गीय सेठ श्री मोहनलाल नवाल साब को जाता है। इस प्रतिनिधि को सालों पूर्व एक अनौपचारिक मुलाकात में सेठ मोहनलाल नवाल साब ने बताया था कि सन 1970 के दशक में उन्हौंने श्री चारभुजाजी की असीम कृपा से और उनकी ईच्छा से अकेले ही इस यात्रा की शुरुआत की थी। उन्हौंने बताया था कि वे अपने साथ में एक मजदूर को हाथ ठेलालेकर उसपर जरुरत का सामूान रखकर अकेले ही सैकड़ों किमी लंबी पदयात्रा पर जाते थे। रात में जहां भी जगह मिली वहां रुककर अपने हाथों से खाना बनाकर खाकर रात गुजारते थे। धीरे धीरे आलीराजपुर के माहेश्वरी समाज के श्रद्धालुजन उनके साथ जुड़ते गए और श्री नवाल साब की यह शुरुआत एक परंपरा बन गई जिसका पालन उनकी मृत्यु के पूर्व और उसके बाद भी अभी तक श्री चारभुजाजी के भक्तजन करते आ रहे हैं। माहेश्वरी समाज की ओर से नियमित पैदल यात्री संघ सालों तक निकाले गए। बाद में संघ निकालने का कार्य पिपलेश्वर महादेव मंदिर समिति के श्रद्धालुजन करने लगे। इसके अलावा नगर के असाड़ा राजपूत समाजजन भी सालों से पैदल यात्री संघ अलग से निकाल रहे है।