आलीराजपुर में सीएमएचओ रही डाॅ अनुसुईया गवली के वेतन से 3 लाख 68 हजार रुपए की होगी वसूली

दो वार्षिक वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश 
आशुतोष पंचोली
आलीराजपुर। ब्यूरो
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग में सालों तक गायनिक के पद पर और बाद में सीएमएचओ के पद पर आलीराजपुर जिला अस्पताल में पदस्थ रही डाॅ अनुसुईया गवली से यहां साल 2013 में पदस्थापना के दौरान उनके द्वारा की गई अनियिमितताओं की शिकायत पर हुई जांच में पता चला कि उन्हौंने 3 लाख 68 हजार 873 रुपए की आर्थिक हानि शासन को पहुंचाई है। यह राशि अब उनके वेतन से वसूलने के आदेश अजय नथानियल अवर सचिव, मप्र शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय  भोपाल ने गत दिवस दिए है। साथ ही दीर्घ शास्ति के अंतर्गत दो वार्षिक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश भी किए गए है।


ज्ञात हो कि डाॅ अनुसुईया गवली के सीएमएचओ कार्यकाल के दौरान साल 2013 में लाखों रुपए का स्टेशनरी घोटाला हुआ था। जिसे इस प्रतिनिधि ने ही एक समाचार पत्र के माध्यम से लगातार प्रकाशित सीरीज में उजागर किया था। इस मामले में अब करीब पांच साल बाद डाॅ गवली के खिलाफ उपरोक्त कार्यवाही मंत्रालय स्तर से हुई है। स्मरण रहे कि डाॅ गवली का तबादला आलीराजपुर से साल 2014 में शाजापुर सीएमएचओ पद पर हुआ था। वहां से वे राजगढ़ ब्यावरा में सीएमएचओ बन कर गई  किंतु उन्हें गत 29 जून 18 को आर्थिक अनियमितताओं के चलते निलंबित कर दिया गया हैं। इसके बाद अब मंत्रालय स्तर से उन पर यह गाज गिरी हैं।
क्या है मामलाः
डाॅ अनुसुईया गवली ने प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर रहते हुए जिला आलीराजपुर में पदस्थापना के दौरान उनके द्वारा की गई आर्थिक अनियिमतताओं के संबंध में कलेक्टर आलीराजपुर के पत्र दिनांक 22.10.13 द्वारा उन्हें कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर उनका प्रतिवाद उत्तर चाहा गया था। तत्संबंध में डाॅ अनुसुईया गवली से प्राप्त उत्तर समाधानकारक नहीं पाए जाने के कारण उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कलेक्टर आलीराजपुर द्वारा प्रकरण आयुक्त इंदौर संभाग इंदौर को प्रेषित किया गया। साथ ही उनके पत्र दिनांक 16.1.14 द्वारा डाॅ गवली को आरोप पत्रादि जारी किए गए। डाॅ गवली पर मुख्य रुप से 6 आरोप अधिरोपित किए गए।
1. मप्र भंडार क्रय नियमों का पालन न करते हुए गैर अनाधिकृत संस्था से अवैधानिक रुप से 2 लाख 94 हजार 471 रुपए की स्टेशनरी क्रय की गई।
2. कलेक्टर द्वारा अनुमोदित दर सूची की तुलना में अत्यधिक दर पर अवैधानिक संस्था से स्टेशनरी सामग्री क्रय कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाना एवं सहकारी मुद्रणालय रतलाम को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया।
3. स्टेशनरी क्रय प्रक्रिया सेे संबंधित अभिलेख इरादतन गायब करना एवं अभिलेखों की कूटरचना की गई।
4. शासकीय भूमि पर अतिक्रमण को प्रोत्साहित करते हुए अवैधानिक तरीके से निर्माण करवाया गया।
5. राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में प्रगति अत्यंत कम होना पाई गई।
6. आमजन के साथ संवेदनशीलता एवं समन्वय के साथ कार्य नहीं किया गया।

इन आरोपों पर डाॅ गवली से जवाब मांगे गए जो उन्हौंने तय समय सीमा में नहीं देते हुए बाद में प्रस्तुत किए और बाद में इनकी व्यक्ति सुनवाई भी की गई। इसके बाद आदेश जारी किए गए।
क्या है आदेश:
दिए गए आदेश में बताया गया कि डाॅ अनुसुईया गवली तत्कालीन प्रभारी सीएमएचओ आलीराजपुर ने आहरण एवं संवितरण अधिकारी थी और सामग्री क्रय करने के पूर्व उन्हें नियमों को देखना चाहिए था। डाॅ गवली द्वारा उक्त प्रावधान का उल्लंघन करते हुए अवैधानिक तरिके से अवैधानिक संस्था सहकारी मुद्रणालय रतलाम से सामग्री क्रय की गई। सहकारी मुद्रणालय रतलाम स्टेशनरी क्रय करने हेतु शासन की अधिकृत संस्था नहीं है। उक्त संस्था एक निजी संस्था है जिसमें कोई भी सामग्री बिना निविदा के क्रय नहीं की जा सकती है। क्रय क गई सामग्रियों में से 13 सामग्रियों में कलेक्टर आलीराजपुर द्वारा अनुमोदित दर से कही अधिक दर पर प्रायवेट मुद्रणालय से स्टेशनरी क्रय की गई।
इस संबंध में कलेक्टर आलीराजपुर ने अपने पत्र दिनांक 22.10.13 में स्पष्ट किया है कि निर्धारित दर से अधिक दर पर खरीदी गई सामग्री का अंतर 2 लाख 94 हजार 471 रुपए का ज्यादा भुगतान कर शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई गई। विधि विरुद्ध ढंग से की गई क्रय प्रक्रिया अनियमितताओं को छिपाने के लिए डाॅ गवली द्वारा अभिलेख गायब कराए गए है। कलेक्टर दर से 38 फीसद अधिक राशि से स्टेषनरी क्रय कर डाॅ गवली द्वारा इस प्रकार कुल 3 लाख 68 हजार 471 रुपए की आर्थिक क्षति शासन को पहुंचाई जाने पर उक्त राशि उनके वेतन से वसूल करने के आदेश जारी किए गए हैं।  साथ ही दो वार्षिक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने के निर्देश दिए हैं।


 सत्य परेशान हो सकता है,पराजित नहीं :
उक्त पंक्तियां डाॅ गवली के खिलाफ कार्रवाई होने से एक बार पुनः सिद्ध हो गई है क्यों कि डाॅ गवली के खिलाफ सिर्फ इस प्रतिनिधि ने ही लाखों रुपए की स्टेशनरी खरीदी में किए गए भ्रष्टाचार का मामला मीडिया में उजागर किया था। देर से ही सही आखिरकार पांच साल बाद इस मामले में हुई कार्रवाई ने यह बात सिद्ध की है कि सत्य की लड़ाई लड़ने में समय तो लगता है किंतु अंततः जीत सत्य की ही होती हैं।
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