जोबट में 54.34 प्रतिशत मतदान से कांग्रेस जीत के प्रति आश्वस्त, भाजपा को वोट कटाउ गणित से लगी आस

जिले की जोबट विधानसभा सीट पर कांग्रेस भाजपा दोनों प्रत्याशियों का निर्दलीय बिगाड़ सकते है समीकरण


पिछले तीन चुनावों से निर्दलीयों ने बिगाड़े है यहां के समीकरण 

आशुतोष पंचोली

आलीराजपुर न्यूज। ब्यूरो चीफ

जिले की बड़ी विधानसभा जोबट में पिछले तीन चुनावों से निर्दलीय प्रत्याशियों के खड़े होने से प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के प्रत्याशियों के हार जीत के समीकरण गड़बड़ा रहे है। इस बार जोबट विधानसभा क्षेत्र में अब तक का सर्वाधिक रिकार्ड 54.34 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस बार कांग्रेस से सेना पटेल, भाजपा से विशाल रावत, भाजपा के बागी माधोसिंह डावर व कांग्रेस के बागी सुरपाल अजनार के साथ जयस समर्थिक रिंकूबाला भी मैदान में है। इस बार के बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को कांग्रेस शत प्रतिशत अपने पक्ष में मान रही है वहीं इस बार भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के बागी प्रत्याशी चुनाव परिणामों के समीकरण को प्रभावित करते हुए नजर आ रहे है।जोबट में निर्दलीय प्रत्याशी 2008 से ही खड़े होते आ रहे है। जब भाजपा के बागी व संघ कार्यकर्ता हरिंसिंह जमरा खड़े हुए थे जो कि 6 हजार वोट ले आए इस वजह से उस समय भाजपा 4500 वोट से चुनाव हार गई। उसके बाद 2013 में भाजपा के बागी मुकामसिंह डावर खड़े हुए जो करीब 20 हजार वोट ले आए किंतु उन्हौंने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगा दी जिससे भाजपा जीत गई और 2018 में कांग्रेस के बागी विशाल रावत खड़े हुए थे व 31 हजार वोट ले आए। उन्हौंने कांग्रेस व भाजपा दोनों के वोट काटे। किंतु फिर भी कांग्रेस मामूली 2 हजार मतों से चुनाव जीत गई। दिलचस्प यह है कि जो पहले कांग्रेस में थे वे अब भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है जो दो बार के भाजपा के विधायक रहे वे इस बार बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। उनके पीछे मामाजी का आशीर्वाद भी बताया जा रहा है।



 जिले की 192 जोबट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 54.34 प्रतिशत मतदान हुआ। यहां 79567 महिला एवं 84218 पुरूष मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इस प्रकार कुल 1 लाख 63 हजार 785 मतदाताओं ने मतदान किया है। राजनीतिक आकलन करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि जोबट में जो प्रत्याशी 55 हजार या उससे अधिक मत प्राप्त कर लेगा वह चुनाव जीत लेगा। पिछले तीन चुनावों के आंकडे तो यही कहानी बयां कर रहे है। आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस स्वयं को विजेता मान रही है वहीं भाजपा के सूत्रों  का कहना है कि भाजपा के बागी व कांग्रेस के बागी दोनों मिलकर कांग्रेस का ज्यादा नुकसान कर रहे है ऐसी स्थिती में भाजपा को फायदा मिलने की संभावनाएं जता रहे है। बहरहाल स्थिती तो 3 दिसंबर को ही स्पष्ट होगी किंतु आंकड़ों के विश्लेषण से जोबट विधानसभा की स्थिती बेहद दिलचस्प व रोचक नजर आ रही है। हालांकि कोरोना से विधायक कलावती भूरिया की मौत के बाद साल 2021 के उपचुनाव में भाजपा की सुलोचना रावत  6 हजार मतों से चुनाव जीती थी। उपचुनाव जिसकी सरकार रहती है उसके पक्ष में अधिकतर जाता है। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी महेश पटेल ने उपचुनाव में बहुत ताकत दिखाई उन्हें हराने के लिए पूरी भाजपा सरकार को लगना पड़ गया था। 



                                                      कांग्रेस प्रत्याशी सेना पटेल


                                           
भाजपा प्रत्याशी विशाल रावत


साल 2018 की स्थितीः कांग्रेस रही विजयी 

साल 2018 के चुनाव की स्थिती का आकलन करे तो उस समय यहां पर 52.13 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी कलावती भूरिया को 46 हजार 67 मत एवं भाजपा के माधोसिंह डाबर को 44 हजार 11 मत मिले थे। यहां से कांग्रेस 2056 मतों से विजयी हुई थी। उस समय कांग्रेस की ओर से बागी प्रत्ःयाशी विशाल रावत भी मैदान में थे और उनको 31 हजार 229 मत मिले थे और वे तीसरे नंबर पर थे। इस चुनाव में कांग्रेस को वोट शेयरिंग 33.53 प्रतिशत भाजपा को 32.04 प्रतिशत व निर्दलीय का 22.73 प्रतिशत रहा था। इस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से करीब डेढ़ प्रतिशत अधिक मत प्राप्त किए थे व चुनाव जीता था। इस चुनाव में कांग्रेस के बागी प्रत्याशी विशाल रावत ने कांग्रेस के साथ साथ भाजपा के वोट भी काटे थे तभी उन्हें 31 हजार से अधिक मत प्राप्त हो गए थे। आखरी की ईवीएम ने कांग्रेस को बढ़त दिला दी और कांग्रेस विजयी रही।

                                            भाजपा के बागी माधोसिंह डावर

साल 2013 की स्थितीः भाजपा रही विजयी

साल 2013 के चुनाव की स्थिती का आकलन करे तो उस समय यहां पर 49.37 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसमें भाजपा प्रत्याशी माधोसिंह डावर को 45 हजार 793 मत मिले थे। वहीं कांग्रेस के विशाल रावत को 34 हजार 742 मत मिले थे। भाजपा के बागी व निर्दलीय प्रत्याशी मुकामसिंह डावर को 19 हजार 486 मत मिले थे। तब भाजपा प्रत्याशी डावर 11 हजार 51 मतों से चुनाव जीते थे। इस चुनाव में भाजपा का वोट शेयरिंग 38.54 प्रतिशत कांग्रेस का 29.24 प्रतिशत व निर्दलीय मुकामसिंह का 16.40 प्रतिशत रहा था। इस चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से करीब 9 प्रतिशत अधिक मत प्राप्त किए थे व चुनाव जीता था। इस चुनाव में भाजपा के बागी प्रत्याशी डावर ने कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहंुचाया व भाजपा के तो कम किंतु कांग्रेस के वोट बैंक वाले बूथों से अच्छे मत प्राप्त किए इस वजह से इस  चुनाव में कांग्रेस का बड़ा नुकसान हो गया। उन्हें करीब 20 हजार मत मिले थे।

कांग्रेस के बागी सुरपाल अजनार  

साल 2008 की स्थितीः कांग्रेस रही विजयी
साल 2008 में कांग्रेस की सुलोचना रावत चुनाव जीती थी। रावत ने 35453 मत प्राप्त किए कुल वोट शेयर का 44.54 फीसद प्राप्त कर उन्होनें भाजपा के माधोसिंह डावर को 4560 मतों से चुनाव में हराया। भाजपा के डावर को 30893 मत मिले। उनका वोट शेयर 38.81 फीसद था। इस चुनाव में भाजपा के बागी व संघ कार्यकर्ता हरिसिंह जमरा निर्दलीय खड़े हो गए थे और वे 6121 मत ले आए। इस चुनाव में यहां से भाजपा की हार का प्रमुख कारण निर्दलीय प्रत्याशी जमरा ही रहे थे। 

2021 उपचुनाव 

68949 भाजपा सुलोचना रावत 46.92फीसद

62845 कांग्रेस महेश पटेल 42.77फीसद

6104 मतों से भाजपा विजयी


2018 में 52.13 प्रतिशत मतदान

46067 कांग्रेस कलावती भूरिया 33.53 फीसद

44011 माधोसिंह डावर 32.04 फीसद

31229 निर्दलीय विशाल रावत 22.73 फीसद


2013 में 49.37 प्रतिशत मतदान

45793 भाजपा माधोसिंह डाबर 38.54 फीसद

34742 कांग्रेस विशाल रावत 29.24 फीसद

19486 निर्दलीय मुकामसिंह डावर 16.40 फीसद 


2008 में 48.98 प्रतिशत मतदान

35453 कांग्रेस सुलोचना रावत 44.54 फीसद

30893 भाजपा माधोसिंह डावर 38.81 फीसद

6121  निर्दलीय हरिसिंह जमरा 7.69 फीसद



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