धन की लालच में धर्म न बदले - पंडित कमलेष जी नागर श्रीराम एवं श्रीकृष्ण जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया

आशुतोष पंचोली
 आलीराजपुर। ब्यूरो 
आज धन की लालच में कई लोग अपना धर्म बदल लेते है। हम ऐसे प्रयास  करे कि लोग धर्म नही बदले। सबसे किमती  संसार में समय है। इसलिए समय का हमेषा सदुपयोग करे। भक्ति भगवान को आपके घर बुला सकती है। हम हमारे जीवन के तन, मन, व धन का दसवाॅ हिस्सा दान करे, भारत की भाग्यषाली भूमि भरत खण्ड है।
 उपरोक्त विचार भगवान परषुराम वेंद प्रचार अनुष्ठान समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ के पांचवे दिन राज राजेष्वर मंदिर राजवाड़ा प्रागण में उपस्थित श्रोताओं को सुप्रसिद्व कथावाचक पंडित श्री कमलेष जी नागर नानपुर ने व्यक्त किए। कथा में पांचवे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। 
नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की, आओ ओ कन्हैया मेरा मन उदास है अब देर ना कर कन्हैया हम तेरे आस पास है,। ‘‘मेरे देष की धरती सोना उगल,े उगले हीरे मोती‘‘ ‘‘तेरे दवार खड़ा भगवान भगत भरदे झोली‘‘ जैसे भजन व भक्ति जयघोष से पाण्डाल गूंज उठा। मौका था भागवत कथा के चैथे दिन भगवान श्री कृष्ण जन्म उत्सव का। वासुदेव रूपी कलाकार विरेन्द्र वाणी जब बालकृष्ण को टोकरी में लेकर मंच पर आयेे तो पूरे पाण्डाल में बाल श्रीकृष्ण पर पुष्प वर्षा हूई। पांडाल में बैठे करीब हजारों श्रोता उद्घोष करते हुवे अपनी जगह पर खड़े होकर झुम उठे और भगवान को जन्म उत्सव मनाने लगे। सभी और से बधाईयों की आवाजें सुनाई देने लगी। हर कोई नाचने थिरकने लगा, पूरा माहोल उत्साह मय हो गया। पाण्डाल में पुरूष पीले  व सफैद वस्त्र में व महिलाए केषरीया व पीली साड़ी में आये थे। 
भागवत कथा के यजमान सुमन बेन कुलकर्णी आम्बुआ व मुकेष कुलकर्णी आम्बुआ व मुख्य यजमान मकु परवाल, बबली परवाल, महेष पटेल, सेना पटेल, अरूण व्यास, पूर्णिमा व्यास, प्रकाषचन्द्र राठौड़, ने व्यास पीठ का पूजन किया व आरती की।
पंडित श्री नागर ने आगे कहा कि अग्रेजों ने देष को गुलाम बनाकर हमारी संस्कृति को नष्ट किया। हमारी असली आजादी तभी होगी जब हम संसार के मोह व मायाजाल से मुक्त हो जाए। भगवान भाव का भूखा है, भगवान धन नही मांगता। भगवान को सच्चे मन से पुष्प अर्पित करो भगवान आपकी भावना देखकर प्रसन्न होते है। समुद्र मंथन में अमृत भी निकला व जहर भी निकला अमृत पीने के लिए सभी तैयार हो गये लेकिन जहर पीने के लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ, तब भगवान भोलेनाथ ने जहर पीया व नीलकंठ व देवो के देव महादेव कहलाए। कंस व वासुदेव की कथा सुनाते हुए पंडित जी नागर ने कहा कि भारत की संस्कृति जोड़ने वाली है, तोड़ेने वाली नही, भारत देष सोने की चिड़िया कहा जाता था। सूर्यवंष में भगवान राम का अवतार हुआ। पंडित नागर ने कहा कि पंचतत्व से हमारा षरीर बना है। कभी भी अच्छा काम नही रोकना चाहिये।
कार्यक्रम का संचालन जानकीवल्लभ कोठारी ने किया। आभार पंडित भरत षर्मा नागदा ने माना। मीडिया प्रभारी कृष्णकान्त बेड़िया व निरंजन मेहता ने बताया की कथा में गंगा कोई धाम बाग के महंत श्री सूरजपुरी जी महाराज व षिष्य एवं श्री कनकधाम आश्रम कोटेष्वर से श्री अयोध्यादास जी महाराज व षिष्य भी पाण्डाल में पधारे। 
पंचेष्वर रामायण मंडल की भजन संध्या
इसके पूर्व बुधवार की रात में पांडाल में पंचेष्वर रामायण मण्डल के द्वारा एक ही ड्रेस कोड में मंच पर भजन संध्या हुई जिसमें हजारो श्रोताओं ने भाग लिया व हर भजन पर जमकर थिरके। श्री बेड़िया ने बताया कि मंच पर श्री अयोध्यादास जी महाराज व पण्डित कमलेष नागर ने टीम रक्तदूत व उपस्थित पत्रकार बंधुओं व पर्यावरण सहयोग संस्था  का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया।
 

षिवलिंग निर्माण जारी 
श्रोता कथा श्रवण के साथ ही पार्थिव षिवलिंग का निर्माण भी करते जा रहे है। बच्चे व युवतिया व बुजुर्ग मिट्टी ला-लाकर पाण्डाल में पार्थिव षिवलिंग बनाने वाले को दे रहे है एवं प्रतिदिन युवतिया, महिलाए, पुरुष व बच्चे पार्थिव षिवलिंग बना रहे है। गुरुवार को भी एक लाख ग्यारह हजार षिवलिंग का निर्माण किया गया। पार्थिव श्रृंगार करने में पंण्डित अमन पण्ड्या बाकानेर, जलखेड़ा व ललित पुरी बेतुल अपना पुरा योगदान दे रहे है। 
आरती व अभिषेक माहेष्वरी महिला मण्डल व मोतीलाल चंम्पालाल कोठारी परिवार व मोहोलिया राजपूत समाज के सौजन्य से  रखी गई। 56 भोग की प्रसादी गोपाल नवाल व परिवार की ओर से रखी गई। पाण्डाल एवं प्रसादी व्यवस्था में गोविन्द जोषी, प्रमोद मंत्री, रवि जोषी, जगदीष राठौड़, रामनाथ यादव, दीपक दीक्षित, कैलाष कमडिया अंकित परवाल, पप्पू सोमानी, गोरव अगाल, मनिष मंत्री, निर्मल सोमानी, आषिष सोमानी, बालकिषन मोदी, धर्मेन्द्र सोमानी, मनोज कोठारी, राजमणि गुप्ता सहित अनेक सदस्य अपना योगदान दे रहे है।
 

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