इंदौर आरटीओ पूर्व संचालित अस्थाई परमिट नहीं करे रहे है जारी

 

परमीट नहीं मिलने से 400 से अधिक बसों का संचालन बंद, प्राईम रुट बस एसोसिएशन ने उठाया मामला

आलीराजपुर न्यूज ब्यूरो।

माननीय  हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में प्रस्तुत याचिका क्रमांक 2347/2024 की सुनवाई के बाद माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा गत 31 जनवरी 2024 को दिए गए एक आदेश को आधार बनाकर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी इंदौर ने इंदौर संभागीय कार्यालय से जारी होने वाली करीब 400 अस्थाई परमीट गत एक मार्च से जारी करना बंद कर दिए है। इससे इंदौर संभाग के आठ जिलों में सैकड़ों की संख्या में यात्री बसों का संचालन प्रभावित हो गया है। प्राइम रुट बस आनर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष पंडित गोविंद शर्मा एवं प्रदेश महामंत्री सुशील अरोरा ने बताया कि खरगोन के एक वरिष्ठ मोटर मालिक कमला देवी गौर ने माननीय इंदौर उच्च न्यायालय द्वारा प्रस्तुत याचिका क्रमांक 2347/2024  दायर की गई थी। माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका कि गंभीरता को समझते हुए नवीन अस्थाई परमिट आवेदन देने पर इस शर्त के साथ रोक लगाई कि मार्ग पर बगैर फ्रिक्वेंसी निर्धारित किए और बगैर रुट फार्मूलेशन के परमीट नहीं दिए जा सकते है। 



एसोसिएशन के शर्मा व अरोरा ने बताया कि माननीय हाई कोर्ट के आदेश का अवलोकन कर  क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी इंदौर संभाग इंदौर द्वारा पुराने लंबे समय से संचालित हो रहे कई अस्थाई परमिट (जिनकी सुनवाई पूर्व में हो चुकी थी) तथा जिसको नवीन आवेदन परमिट का आदेश मानकर अस्थाई परमिट जारी नहीं किये जा रहे हैं इस कारण इंदौर संभाग के आठ जिलों में संचालित लगभग 400 से अधिक बसों का संचालन बंद होने से खंडवा ,खरगोन , सेंधवा, बड़वानी ,बुरहानपुर ,मंडलेश्वर,  ,सनावद ,मनावर, भीकन गांव , अलीराजपुर, झाबुआ, कुक्षी,ओंकारेश्वर, उज्जैन सहित छोटे मार्गों की बसें पूर्णता शून्य हो गई है। शर्मा ने बताया कि इसमें गौरतलब बात यह है कि न्यायालय की दुहाई देकर नए परमिट नहीं देने वाले आरटीओ साहब द्वारा इंदौर शहर के मध्य एवं 25 किलोमीटर के दायरे में चलने वाले वाहनों को नये  अस्थाई परमिट दिये जा रहें है। शर्मा का कहना था कि यदि जब माननीय उच्च न्यायालय इंदौर ने अस्थाई परमिट पर रोक लगाई है तो अंर्तशहरीय मार्ग पर संचालित यात्री वाहनों को नये परमिट कौन से नियम से दिए जा रहे हैं ।इस संबंध में हमारा कथन हैं कि  मोटरयान अधिनियम के तहत सभी प्रकार अस्थाई  परमिट जारी होने का एक ही नियम है फिर माननीय उच्च न्यायालय इंदौर के आदेश के विपरित परमिट जारी करना न्यायालय कि अवमानना कि श्रेणी में आता है। गत 2 अप्रेल को ऐसोसिएशन के अध्यक्ष पंडित गोविंद शर्मा ने हाई कोर्ट में इंटरविनर बन कर अपनी बातों को न्यायालय  के समक्ष प्रस्तुत किया  कि अस्थाई परमिट कि सुनवाई कि प्रक्रिया एक बार हो चुकी है फिर अस्थाई परमिटो के आवेदनों  पर परमिट जारी नहीं करने से आम यात्रीयों को परेशानी  हो रही है।

पूर्व में  दे चुके है ज्ञापन

अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि इंदौर संभाग में रोके गए नियमित संचालित अस्थाई परमीट अविलंब जारी करने हेतु मुख्य सचिव परिवहन विभाग भोपाल, परिवहन आयुक्त ग्वालियर को गत 28 फरवरी को 24 को ज्ञापन दिया गया था। जिसमें हमारे द्वारा स्पष्ट तौर पर बताया गया था कि माननीय उच्च न्यायालय अपने आदेश में सिर्फ यह कहा गया है कि नवीन अस्थाई परमीट  सुनवाई करने के पूर्व जारी परमीटों के मध्य समान समय का अंतराल तय होना चाहिए व मार्ग का सूत्रीकरण होना चाहिए। तब तक नए परमीटों की सुनवाई करने पर रोक लगाई गई है। जबकि इंदौर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी महोदय ने पूर्व से जारी हो रहे पुराने नियमित अस्थाई परमीटों को देने पर भी रोक लगा दी है। जिसका इस केस तथा आदेश से कोई संबंध नहीं है। बसों के परमीट रुक जाने से  इंदौर संभाग के लाखों यात्रीगण प्रभावित हो रहे है। साथ ही शासन को भी मोटरयान कर के रुप में मिलने वाले राजस्व का घाटा हो रहा है।

इंदौर संभाग बस एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रजमोहन राठी ने  संवाददाता को बताया कि इस मामले को लेकर एसोसिएशन के ओर से परिवहन मंत्री व स्वयं आरटीओ इंदौर से अवगत करा चुके है। माननीय उच्च न्यायालय में 5 अप्रेल को इस मामले में आगामी सुनवाई होना है। जिसमें क्या आदेश पारित होते है उसके बाद इंदौर संभाग आगामी रणनीति तय करेगा साथ ही इंदौर संभाग के सभी बस मालिकों की बैठक भी इस संबंध में शीघ्र ही बुलवाई जाएगी।राठी ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश नए अस्थाई  परमीटों पर रोक के संबंध में जबकि इंदौर आरटीओ ने पुराने समय से स्वीकृत टीपी परमीट के आवेदन स्वीकृत करना ही बंद कर दिए है। यह न्यायोचित नहीं है। इंदौर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अभिभाषक अभयकुमार जैन ने बताया कि माननीय न्यायालय का आदेश स्पष्ट तौर पर नए टीपी परमीटों की सुनवाई व उन्हें जारी करने के संबंध मंें है न कि पहले से संचालित टीपी परमीटों को रोकने के संबंध में है। 

इस मामले में इंदौर आरटीओ से उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

Share on WhatsApp