मनुष्य जीवन में अर्पण, तर्पण व समर्पण ही महत्वपूर्ण तत्व है - पंडित नागर

आशुतोष पंचोली
आलीराजपुर। ब्यूरो
हम ईष्वर को अपर्ण करते है, पूर्वजों को तर्पण करते है, भोलेनाथ को समर्पित हो जाते है। मनुष्य जीवन मंे अर्पण, तर्पण व समर्पण ही महत्वपूर्ण तत्व है। ज्ञान से विवेक प्राप्त होता है, ज्ञान के कारण ही नरेन्द्र से विवेकानन्द नाम पड़ा। ष्षैव मार्गी, वैष्णव मार्गी, कृष्ण मार्गी सभी भगवान के मार्ग है।  भगवान कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता। कोई यदि ऐसा सोचता है तो यह उसके मन का वहम है, आपस में बैर न करें। 

यह बात श्रीपरषुराम वेद प्रचार समिति म.प्र. द्वारा आयोजित संपूर्ण सावन एक माह के कार्यक्रम अन्तर्गत श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस मंे व्यासपीठ से पंडित कमलेष नागर नानपुर वाले ने व्यक्त किए।  
पंडित नागर ने कहा कि भगवान को प्राप्त करने की प्रथम सीढ़ी भक्ति है तो दूसरी सिढ़ी त्याग है। व्यक्ति भक्ति करने तो आसानी से तैयार हो जाता है परंतु त्याग करने में उसे बहुत कष्ट होता है। भगवान को प्राप्त करने हेतु भगवान से जुड़ना आवष्यक है। जल का स्वभाव है पार लगाना, तैर कर पार निकल गए तो पार हो गये। 


मंगलवार को कथा निष्चित समय पर प्रारम्भ हुई। षिवपुराण, भागवत कथा, पार्थिव षिवलिंग निर्माण, पंचकुण्डी यज्ञ के इस एक माह के कार्यक्रम की पूरे नगर में प्रषंसा हो रही है। हर कोई यह कह रहा है कि पूरे एक माह का कार्यक्रम आलीराजपुर के इतिहास में प्रथम बार हो रहा है। मंगलवार की कथा में महिला पुरूषो की काफी भीड़ उमड़ी। कथा श्रवण के दौरान महिलाएं षिवलिंग भी बनाते जा रही है। आज 1 लाख 11 हजार षिवलिंग बनाए गए। षिवलिंगो का आकर्षक श्रृंगार अमन पण्डया व ललीतपुरी ने किया। भागवत कथा में बुधवार को श्रीकृष्ण का कार्यक्रम होगा। माखन मिश्री का प्रसाद बंटेगा। कार्यक्रम का संचालन संयोजन जानकीवल्लभ कोठारी ने किया। आज स्व. बालमुकुन्द धुलीरामजी मैलाना की स्मृति में गोपाल मैलाना की ओर से प्रसाद बंटवाया गया।

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